Premchand Jayanti 2022 पूरा देश उन्हें नमन कर रहा है जिन्होंने भारत भूमि को दासता से मुक्त कराया। कलम के सिपाही प्रेमचंद ने केवल अपनी स्याही से ही आंदोलन को प्राणवंत नहीं किया बल्कि खुद को भी संघर्ष की गाथा का पात्र बनाया।
भारतीय बसंत कुमार, वाराणसी: Premchand Jayanti 2022 बनारस के लमही में 31 जुलाई 1880 को पैदा हुए इस लेखक ने अपनी रचनाओं के लिए ब्रिटिश हुकूमत की सजा भी भोगी, लेकिन पीछे नहीं हटे। वह नवाब राय, धनपत राय की जगह प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे। यह समय था जून 1908 का जब उनका कहानी संग्रह सोजेवतन प्रकाशित हुआ। इसमें देशप्रेम की कहानियां (सांसारिक प्रेम और देशप्रेम, दुनिया का सबसे अनमोल रतन, शेख मखमूर और यही मेरी मातृभूमि) थीं।
अंग्रेज कलेक्टर ने इसे राजद्रोह मानकर इसकी उपलब्ध सभी प्रतियां जलवा दीं। 'दुनिया का सबसे अनमोल रतन' कहानी की अंतिम पंक्ति- खून का वह आखिरी कतरा जो वतन की हिफाजत में गिरे, दुनिया की सबसे अनमोल चीज है।'और 'यही मेरी मातृभूमि है' कहानी की कुछ आरंभिक पंक्तियों में राष्ट्रप्रेम का ओज देखिए-'अत्याचारी के अत्याचार और कानून की कठोरताएं मुझसे जो चाहे करा सकती हैं, मगर मेरी प्यारी मातृभूमि मुझसे नहीं छुड़ा सकतीं। वे मेरी उच्च अभिलाषाएं और बड़े-बड़े ऊंचे विचार ही थे, जिन्होंने मुझे देश निकाला दिया था।' अमृतलाल नागर लिखते हैं कि प्रेमचंद से हमें जो चीज मिलती है, उसमें सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने हमें स्वाभिमान से लिखना सिखाया। प्रेमचंद के ही शब्दों में -'साहित्यकार अपने देशकाल से प्रभावित होता है।
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